भारत माँ के सिपाही
समझे मौत को माही
फ़र्ज़ के पथ पे राही
घाव दर्द हम राही
वादी पे वर्दी की दे जुनून गवाही...
गोली कलम से खून की स्याही...
साँस आँधी का हुँकार
नस में बिजली झंकार
रग में उमड़े गंगा
देह माटी सुगंधा
धड़कन जन गण मन का है डंका
रोंगटा लहराता तिरंगा...
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